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डगमगा-सी गई है…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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डगमगा सी गई है,
जीवन नैया
शायद दिशाओं ने करवट,
बदली है।

मुरझा गए हैं चमन में,
गुलाब के फूल
चहरे की मुस्कुराहट भी,
नकली है।

बदल गई है अपनों की,
मधुर वाणी
बिन बादल गरज रही,
बिजली है।

कैसे सच होंगे अब ख्वाब,
जिंदगी के
यहां किस्मत की लकीरें,
धुंधली हैं।

नज़रों के तीर चलने लगे हैं,
बेसुध होकर
अपनों की बेवफ़ाई से हृदय,
छलनी है।

क्या करुंगा अब मैं जी कर,
तन्हाई में।
कौन-सी किस्मत अब मेरी,
बदलनी है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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