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तुम चाहते हो

विद्या पटेल ‘सौम्य’
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
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तुम चाहते हो,
बदल डालें हम
अपनी हर ख्वाहिशें,
हर चाहत, स्वाद
और…
यहाँ तक सपने भी,
तुम्हारे और तुम्हारे अपनों की खातिर,
मिटा दूं…
अपने अस्तित्व को ही,
रंग-रूप, वेश भूषा को
तुम्हारी जिद की खातिर,
बदल डालूं खुद को या
कर लूँ अपना मेक-ओवर।

तुम जानते हो…
हैं कई रूप हमारे,
बेटी, बहन, बहू, पत्नी, माँ,
और…
तुम उसे ही अस्तित्वहीन कर,
पुरूषत्व का रौब दिखाते हो
पर नहीं जानते,
इन विभिन्न रूपों की खातिर
हम सब सह जाते हैं,
और…
तुम वहीं हमें कमज़ोर समझ,
हम पर ज़ोर आजमाते हो।

तुम चाहते हो,
तुम्हारी बनी लीक पर
हम अनवरत चलते रहें,
और तुम…
अपनी मनमानियों के काँटे बिछा,
मुझे लहूलुहान करते रहो
तुम भी जानते हो,
और इतिहास भी
जब नारी अपनी संपूर्ण शक्तियों का
समन्वय कर, उपस्थित हुई है,
तब-तब तू रोया है, गिड़गिड़ाया है।
और…
पुरुषत्व हीन भी॥

परिचय-विद्या पटेल का साहित्यिक उपनाम-सौम्य है। १९८४ में १२ जुलाई को सौम्य,इलाहाबाद (उ.प्र.)में जन्मीं है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित शिवगढ़ सोरांव में निवास है। यही आपका स्थाई पता भी है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश निवासी विद्या पटेल की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी),बी.एड.सहित  जे.आर.एफ.(नेट) है। इनका कार्य क्षेत्र-अध्यापन का है। इनके लिए  प्रेरणा पुंज-समाज में होती विभिन्न घटनाएं हैं,जो लिखने को प्रेरित करती हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप साहित्य के माध्यम से समाज को जाग्रत करने में सक्रिय हैं,और लेखनी का यही उद्देश्य है। लेखन विधा-कविता,लेख एवं ग़ज़ल है।