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तुम भारत भू के गौरव

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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हे भू के लोह पुरुष,स्वीकार करो मेरा वंदन,
क्यों इतनी जल्दी चले गए,जनगण के मन में है क्रन्दन।

तुम भारत भू के गौरव हो,तुम नए राष्ट्र के सूत्रधार,
दोबारा भारत में आओ,करते विनती हम बार-बार।
तुम राजनीति के धर्मवीर,तुम से ही सारे कीर्तमान,
तुम कूटनीति के राजवीर,तुम ही शंका के समाधान।
निरपेक्ष भाव से काम किया,सब तोड़े सम्प्रदाय बंधन,
हे भारत भू के लोह पुरुष,स्वीकार करो मेरा वंदन…॥

तुम लोकतंत्र की थे मिसाल,बांटा प्रकाश अंधेरे में,
तुम आजादी की थे मशाल,ना रुकी कभी जो घेरे में।
भारत का एकीकरण किया,दुनिया में मान बढ़ाया था,
निर्वाह किया था राज धर्म,जन-जन विश्वास जगाया था।
सब राजे और नवाबों का,कर दिया देश हित प्रबंधन,
हे भारत भू के लोह पुरुष,स्वीकार करो मेरा वंदन…॥

तुम स्वयं त्याग की मूरत थे,तुम दीपक हठी जवानी के,
तुम बापू के अनुयायी थे,तुम रूपक थे कुर्बानी के।
तुम भारत भू के कर्णधार,तुम समता के सौदागर थे,
तुम विधिक ज्ञान में पारंगत,तुम वाणी के जादूगर थे।
भारत का यूएनओ के संग,कर दिया आपने अनुबंधन,
हे भारत भू के लोह पुरुष,स्वीकार करो मेरा वंदन…॥

बारदोली आंदोलन से तुम,बन गए किसानों के नेता,
‘सरदार’ उपाधि मिली तभी,सबकी नजरों में अभिनेता।
सरदार तरीका सिखा गए,संयम से देश चलाने का,
जो टेढ़ी चाल चले कोई,उसको रस्ते पर लाने का।
‘हलधर’ की कविता है टीका,बल्लभ के माथे का चंदन,
हे भारत भू के लोह पुरुष,स्वीकार करो मेरा वंदन…॥

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