एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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सृष्टि निरामय सुखी मन,
चैतन्यप्रकाश कामना है
तेजोमय ज्योति पुंज से,
विश्व बंधुत्व भावना है।
श्रेष्ठ संस्कृति की धरोहर,
नवरात्रि की उपासना है
जगत कल्याण के भाव,
लिए देवी आराधना है।
शुभ कलश घट स्थापना,
से ज्योत दैदीप्यमान है
आदिशक्ति हो विराजित,
भक्त करते अनुष्ठान है।
श्रंगारित माँ नव रूपों में,
स्नेह सुधा-सी बरसाती है
त्याग-तपस्या से प्रमुदित,
सबके मन को भाती है।
सनातन नववर्ष शुभारंभ,
सदियों से गौरवशाली है।
सुख-समृद्धि की कामना,
से अद्भुत भाग्यशाली है॥