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दिल की दुनिया

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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दिल की दुनिया का राज खुलता कहाँ है,
इस दुनिया में जो चाहे मिलता कहाँ है।

यादों का सिलसिला समंदर-सा बढ़ा,
हजारों गुलाबों में जो एक गुलाब खिला।

कलियाँ फूलों की खिलती गुलशन में,
साज बजते हैं मधुर धुन सरगम में।

यादों की महफिल, यादों का पिटारा,
खुलता नहीं कभी हजारों गुल में।

यादें बहुत अच्छी होती है उम्मीद देती
कुछ यादें बुरी होती हैं भूल जाने को।

दुःख-सुख का ये जीवन बस जीवन,
कि दुश्वारियों में जीवन जीते जाने को।

खुशियाँ मिलती किश्तों में और जीवन,
जीना संघर्षों में है हिम्मत हौसला कहने को।

अच्छे-बुरे का पाठ पढ़ा है इस दुनिया,
जहान में और हाल पूछता कौन अपना कहने को॥