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धीमा जहर है मोबाइल लेकर सोना

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी होता है। आज मोबाइल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है और जो उपयोग करते हैं, वे मोबाइल के व्यसनी हो जाते हैं। यह सामान्य बात है, और इस आदत के कारण हम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और अनैतिकता के कारण अधिक हानियां उठा रहे हैं। इसका उजला पक्ष यह है कि हमारे बहुत सारे कार्य सम्पादित करने में सहायक होता है।
कभी-कभी अपने समय की बात करें, जब टेलीविज़न का चलन नहीं था और मात्र रेडियो, समाचार-पत्र-पत्रिकाएं ही एक मात्र जानकारियों-सूचनाओं का स्त्रोत होता था। तब पढ़ने-लिखने, मिलने-जुलने के अलावा समय भी बच जाता था, पर आज हम कम वक़्त होने से कमबख्त होते जा रहे हैं। आज सूचना की अधिकता है, पर ज्ञान का अभाव है।
हमने अपने-आपको इसका गुलाम-पराधीन बना लिया है, जो हमारे भविष्य के लिए कितना लाभप्रद है, यह व्यक्तिगत चिंतन मनन का विषय है। तर्क बहुत हैं, पर हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष में प्रभावित हो रहे हैं, और हो चुके हैं।
मोबाइल को सिर के पास रखना घातक साबित हो सकता है। इससे निकलने वाले विकिरण से स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियां हो सकती है।

हममें से बहुत से लोग सोते समय भी अपने मोबाइल फोन को खुद से दूर रखना पंसद नहीं कर या हैं। या तो इसे तकिए के नीचे या अपने बिस्तर के पास रखते हैं। ऐसा करने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-इंटरनेट ब्राउज करते हुए सो जाना, जो स्वास्थ्य को बिगाड़ने का काम कर रहा है। ६५ फीसदी वयस्क और ९० फीसदी किशोर अपने फोन को लेकर ही सोते हैं।
यदि आप थके हुए और बुरे मन में जागते हैं, तो इसके पीछे की वजह भी आपका स्मार्ट फोन ही होता है। सोने से ठीक पहले ब्लू-लाइट स्क्रीन का इस्तेमाल करने से आपकी नींद खराब हो सकती है।
दरअसल, मोबाइल फोन हानिकारक विकिरण निकालते हैं, जो आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे आप सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही नीली रोशनी नींद पैदा करने वाले हार्मोन के उत्पादन को भी बाधित कर सकती है, जिसे ‘मेलाटोनिन’ भी कहा जाता है। यह सर्कैडियन रिदम (बॉडी क्लॉक) को बाधित करता है, जिससे सोने में कठिनाई होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फोन से निकलने वाले आरएफ विकिरण को ग्लियोमा ( मस्तिष्क कैंसर) के बढ़ते जोखिम के आधार पर मनुष्यों के लिए कार्सिनोजेनिक’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
जैसे ही आप फोन को दूर ले जाते हैं, रेडियो फ्रिक्वेंसी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फील्ड की ताकत बहुत कम हो जाती है। सलाह दी जाती है कि इसे कम से कम ३ फुट की दूरी पर रखकर गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
जब आप सोने वाले हों तो फोन बंद कर दें या इसे ‘मौन’ पर रख दें। यदि आपको कॉल के लिए उपलब्ध होना आवश्यक है, तो अपने मोबाइल फोन को अपने बिस्तर से दूर रखें। सुरक्षात्मक कदम उठाना लाभकारी होगा।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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