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नमन प्रतिपालक को

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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जब-जब राधा रानी की बजती है, छमा-छम पायल,
स्वर सुनते ही बावरे कृष्ण, होते हैं आत्मा से घायल।

राधा रानी के प्यार में, श्री कृष्ण सदैव बावरे रहते हैं,
राधा रानी कृष्ण की आत्मा हैं, ये बात सभी कहते हैं।

वृन्दावन के वासी कृष्णा, बरसाने उनका है ससुराल,
कृष्ण के प्रेम में,सखियाँ रहती हैं, रात-दिन बेहाल।

अजब बावरे हैं श्री कृष्ण, पनघट जब-जब जाते हैं,
भोली सखियों के मटके, कंकर मार के फोड़ देते हैं।

शाम ढले कदम पेड़ तले, सखियों को रोज बुलाते हैं,
प्राण प्यारी राधा रानी के संग, श्री कृष्ण रास रचाते हैं।

मुरली की मीठी धुन सुनाकर, वे गोपियों को लुभाते हैं,
स्नान करती सखियों के वस्त्र भी, कृष्ण जी चुराते हैं।

नित्य उलाहना सुनती रहती हैं, कृष्ण की यशोदा मैया,
समझाकर हार जाते हैं, श्री कृष्ण के बड़े बलराम भैया।

यशोदा नहीं समझी, नन्द मान गए कृष्ण सहायक को।
पुत्र नारायण है,तभी रास रचाते हैं, नमन प्रेम नायक को।

सोचते हैं नन्द जी,समझाऊँ कैसे, मैं अपने बालक को,
बालक होता तो जरूर समझाता, नमन प्रतिपालक को॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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