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न भूलें, न छोड़ें और न ही क्षमा करें… आखिर कब तक…?

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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पहलगाम हमला….

भारतीय धरती पर सौन्दर्य के स्वर्ग ‘जम्मू-कश्मीर’ के पहलगाम में धर्म पूछकर निर्दोष पर्यटकों की इतनी बड़ी संख्या (२७) में निर्मम हत्या करना आतंकियों की बेहद कायराना हरकत है। इसके पीछे सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष असीम मुनीश की रणनीति लगती है, क्योंकि पिछले दिनों ही उन्होंने सबको हैरान करते हुए ‘द्विराष्ट्रवाद’ के सिद्धांत का राग अलापा है। उनके अनुसार पाकिस्तान और भारत धर्म के अनुसार अलग-अलग हैं। पुलवामा हमले के लम्बे समय बाद यह बड़ा हत्याकांड इस नई रणनीति का पहला कदम लगता है। ऐसा लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत से बुरी तरह परास्त पाकिस्तान अब भारत में इस तरह की वारदातों से हिंदू एवं मुस्लिम समाज में दूरियों को बढ़ा कर दुश्मनी पैदा करना चाहता है, जिससे धर्म, समाज और जातिगत घृणा बढ़ेगी। इससे कंगाल फटेहाल पाकिस्तान को प्रत्यक्ष तो कुछ नहीं मिलेगा, परन्तु उसे भारतीयों की इस आंतरिक लड़ाई से बड़ा सुकून मिलेगा, साथ ही भारत के इसमें उलझे रहने पर सम्भावना है कि कश्मीर के अलावा सीमाओं पर आतंकवादी हरकतें फिर बढ़ जाएंगी।
चूंकि, भारत आज बहुत मजबूत स्थिति में और देशवासी एकता के पक्षधर हैं, इसलिए भरोसा है कि हर वर्ग आपसी भाईचारे पर जोर देगा एवं अपनी एकता बनाए रखने की ज़िम्मेदारी पूरी तरह निभाएगा, लेकिन ख़तरे को देखते हुए सावधानी और समझदारी बरतनी पड़ेगी, जो आवश्यक भी है। देश के अंदर राजनीति करने वाले विभिन्न दलों सहित धार्मिक संगठन भी भड़कने की अपेक्षा कड़े नियंत्रण में रहें और सबको रखें भी, क्योंकि घृणित बयानों से आग बड़ी जल्दी लगती है। अगर संवेदनशीलता के साथ सामाजिक शांति-सद्भाव को बनाना सरकार की जिम्मेदारी है तो हर भारतीय को भी उसे समर्थन देना होगा।
कश्मीर के मौजूदा हालात, हमले का तरीका और पाकिस्तान को समझते हुए ऐसा अनुमान लगता है कि नापाक साबित हुए पाक का लक्ष्य भारत की एकता को तोड़ना और दंगे करवा कर अलग करना है। या यूँ कहें कि उसका एक सूत्रीय काम भारत से उसे १९७१ का बदला लेना है, जबकि उसका तब से अब तक अनुभव है कि हर बार पराजित ही होगा, मगर ‘दिल है कि मानता नहीं।’
पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुआ आतंकी हमला अत्यंत दु:खद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसकी भरपाई तभी सम्भव है, जब भारत की सेना एवं सरकार इसका मुँहतोड़ जवाब देगी और कड़ा प्रतिकार लेगी। उम्मीद है कि देशभर में फैला आक्रोश देखकर-समझकर केंद्र सरकार निश्चित ही कुछ कड़ा और बड़ा करेगी।
कुछ माह बाद होने वाली धार्मिक यात्रा से पहले पहलगाम में किया गया यह बड़ा कायरतापूर्ण हमला केन्द्र सरकार को आतंकियों की सीधी चुनौती है, और भारत की अस्मिता पर आघात है। यह हमला करके आतंकियों ने सबूत दिया है कि केन्द्र सरकार आतंक को खत्म नहीं कर सकी है और कर भी नहीं सकेगी। आतंकियों ने भारत सहित विदेशी पर्यटकों की जान लेकर गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आतंक के खिलाफ कड़ी सख़्ती के दावे की हवा निकाली है। ऐसे में देशवासियों की भावना समझते हुए सरकार आतंक की कमर तो तोड़ेगी ही।
धरती का स्वर्ग कहलाने वाले कश्मीर की सुकूनी जमीन पर इस आतंकी हमले ने देश को फिर से झकझोर कर रख दिया है। धर्म पूछकर आतंकी दरिंदों द्वारा गोली मारने की घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंकवाद कितना खतरनाक और नृशंस है।
यह बात फिर से समझनी होगी, कि आतंक किसी एक देश की परेशानी नहीं है, इसलिए इसे मिटाने के लिए सारे देशों को एकजुट होकर काम करना होगा। इसके लिए अपनी रणनीति में बदलाव लाने के साथ ही आतंकवाद के मूल कारणों को समझना होगा। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित और आतंकियों के खिलाफ कड़ी निर्णायक कार्रवाई करनी होगी।
आतंकवाद को मिटाने के लिए मूल कारणों को समझना और दूर करना, लड़ाई में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना, आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और आतंकियों को सजा दिलाना, देश की एकता और अखंडता को मजबूत करना एवं आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ा करके भारत इसे पटखनी दे सकता है, साथ ही देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए अपने समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देना होगा। इतना ही नहीं, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों का समर्थन करना होगा। तभी देश आतंकवाद से पूर्णत: मुक्त होगा और शांतिपूर्ण भविष्य एवं प्रगति की दिशा में काम संभव होगा।
एक तथ्य यह भी कि इस हमले में जो भी निकले, उसके प्रति नरमी नहीं बरतते हुए सरकार जल्दी सजा दिलाए। हमलावरों को भारत को यह सबक सिखाना पड़ेगा कि-हम न भूलेंगे, न छोड़ेंगे और न ही क्षमा करेंगे।
जय हिंद, जय भारत।