जयंती-कवि सम्मेलन…
पटना (बिहार)।
खड़ी बोली हिन्दी के उन्नयन में महान योगदान देने वाली प्रथम पीढ़ी के सर्वाधिक आदरणीय साहित्यकारों में पं सकल नारायण शर्मा परिगणित होते हैं। उनकी विद्वता और हिन्दी-सेवा से उनकी पूरी पीढ़ी प्रभावित रही। सम्मेलन के चौथे अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने जो व्याख्यान दिए, वह बिहार में साहित्यिक प्रगति का एक प्रामाणिक अभिलेख हैं।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह और कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यही बातें कही। उन्होंने
हिन्दी के सेवक डॉ. नरेश पाण्डेय ‘चकोर’ को स्मरण करते हुए साधु कवि कहा।
वरिष्ठ कवि डॉ. रत्नेश्वर सिंह, ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, मधुरेश नारायण, चकोर जी के विद्वान पुत्र विधुशेखर पाण्डेय तथा डॉ. पंकज वासिनी ने भी दोनों विभूतियों के प्रति भावांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। शायरा शमा कौसर ‘शमा’ ने नए साल का स्वागत ‘चमन दोस्तों अपना फिर से सजाएँ, नया साल आया’ से और वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण ने ‘क्यूँ रहता है उसका इंतजार मुझको’ सुनाई। इसी कड़ी में कवि सिद्धेश्वर ने आजाद ग़ज़ल ‘पुराने वर्ष की रह गई निशानी, नव वर्ष की अब नई कहानी’ सहित वरिष्ठ कवि प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय, जय प्रकाश पुजारी आदि ने भी अपनी रचनाओं के पाठ से नूतन वर्ष का अभिनन्दन किया।
मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अर्थमंत्री प्रो. सुशील कुमार झा ने किया।