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पुलवामा का गम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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आज फिर,
आँखें हो गई नम
याद आ गया,
पुलवामा का गम
कितना दर्द सहा होगा,
कैसे निकला होगा
उनका दम।

भारत माता के,
वीर सपूतों ने
सरहद पर,
लहु बहाया है हरदम
कभी नहीं,
संघर्ष से हारे
देश की खातिर,
लड़े बेचारे
हार गई किस्मत उनकी जब,
फटने लगे
कारतूस और बम।

धोखा हुआ था,
बहुत भारी
आ गई थी दुश्मन की बारी,
फिर भी साहस
नहीं हुआ कम।
शहीदों की शहादत को,
नमन करता हूँ
उनकी इबादत को,
सलाम करता हूँ।
याद करेगा जमाना उनको,
नहीं होगा विश्वास कम॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

 

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