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ज़िन्दगी का अर्थ

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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ज़िन्दगी का अर्थ नहीं,
समझने में
हम
जबसे असमर्थ हैं,
जितना भी
कमाने में लगे रहो,
सब व्यर्थ है
क्योंकि,
कमाने के चक्कर में
खो गये हैं
हमारे
संगी-साथी,पड़ोसी,हितैषी,
हमने
कमाने की अंधी दौड़ में
इन्हीं को रौंदा है,
इसीलिये
सूना घरोंदा है,
आओ
स्वार्थ-दहलीज़ को
पार करें,
हमारे आसपास के लोगों से
प्यार करें,
और
बाकी ज़िन्दगी
बगैर तनाव के गुजारें,
ज़िन्दगी को जीतें
न कि हारें।

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