डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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इन छुट्टियों में,
घर जाने का मज़ा
कुछ अलग ही था,
इस एक महीने में
पूरी सदियाँ मैं जी आई।
दोस्तों की सुहानी महफ़िल जमा,
प्रीत की डोर अटूट हुई
रिश्ते-नाते भी खूब आए,
खुशियों से सबकी झोली भर गए,
हमने भी प्यार-दुलार-मनुहार किया।
बिटिया रानी आई तो,
घर के द्वार पर मीठी-सी
एक दस्तक हुई,
घर की रौनक लौट आई
प्रफुल्लित मन थिरक उठा,
संगीत मधुर गूँज उठा।
यह दर्द हर कोई,
अनुभव नहीं कर पाएगा
घर से बाहर रहकर,
जिसे नौकरी की खातिर
अपना घर छोड़कर एक नए,
शहर में आशियाना ढूंढना पड़ता है।
सब-कुछ घर जैसा नहीं मिल पाता है,
कुछ ख्वाबों को भूलना पड़ता है
कुछ समझौता करना पड़ता है,
अपने दिल को समझाना पड़ता है
यथार्थ में जीना पड़ता है।
मन ये सोचकर व्याकुल था,
फिर कब ये छुट्टियाँ आएंगी
खुशी के नगमे दोहराएंगी।
सखी, सहेली, बच्चे और अपने,
फिर से घर को गुलज़ार कर जाएंगे॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।