श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मेरा प्यारा सावन आया, छोटी-बड़ी बूंदें साथ में लाया,
रिमझिम करके बरखा रानी आई, बादल भी आया।
बड़ी लुभावन, मनभावन है सावन की बरसती बरसात,
प्रेम की नींद मैं सो जाऊॅ॑गी, ठंडी-ठंडी होगी जब रात।
आते ही सावन को, पिया मिलन की बेला होती है,
नयन भर सुख पाने में नहीं, कोई दिक्कत होती है।
ओ बरखा रानी रिमझिम बरसना तुम चाँदनी रात में,
सुनो प्यारे मेघा गर्जन से, तंग नहीं करना मुलाकात में।
दूर परदेश से सावन में, घर आए हैं हमारे प्यारे सजना,
देखो चाँदनी पिया जी के आते ही चमक उठा अँगना।
नील गगन के रहने वाले ओ मेघा शोर नहीं मचाना,
बहुत कोमल दिल है बलम का, गरज के नहीं डराना।
अभी-अभी तो सावन आया, पिया को संग लाया है,
जी भर के अभी देखा नहीं, बैरी काला बदरा छाया है।
ओ सखी देवन्ती, हमारे पिया झूला लगाए हैं आँगन में,
मैं तो साजन के संग झूला झूलूँगी हरियाले सावन में।
रुक जा रात, ठहरो चन्दा पिया मिलन अभी बाकी है,
प्रेम नींद में सोए हैं पिया, शीतल मन्द पवन की झांकी है।
बरखा रानी के आते, प्रेम का गीत रागिनी सुना रही है,
देखो गुलमोहर के फूल की खुशबू पिया को जगा रही है॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |