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बाढ़ उत्सव

नवेन्दु उन्मेष
राँची (झारखंड)

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पल्टू बाबा सरकारी मुलाजिम ठहरे। पैदा होने से लेकर नौकरी तक पठार में की। बाढ़ क्या होती है,उसके बारे में उन्होंने सिर्फ अखबारों में पढ़ा था।
पहली बार उन्हें सरकार ने निर्देश दिया कि वे बाढ़ग्रस्त इलाके में जाएं,और बाढ़ पीड़ितों की मदद करें। जिस बाढ़ग्रस्त जिले में उन्हें जाने का निर्देश दिया गया था,वे आदेश मिलने के साथ ही वहां पहुंच गए। पहुंचते ही उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि उन्होंने कभी बाढ़ नहीं देखी है तो फिर बाढ़ग्रस्त लोगों की मदद कैसे करेंगे ? जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि,कल मैं बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ एक बैठक आयोजित करूंगा, जिसमें प्रशिक्षण दिया जाएगा कि बाढ़ग्रस्त लोगों की सहायता कैसे की जाएगी।
दूसरे दिन पल्टू बाबू मैले-कुचैले कपड़े पहनकर बैठक में पहुंचे तो जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि क्या आपके पास अच्छे कपड़े नहीं हैं! इस पर पल्टू बाबू ने कहा कि बैठक के बाद जब मुझे बाढ़ग्रस्त इलाके में जाना
पड़ेगा तो कपड़े गंदे हो जाएंगे,इसलिए मैं अच्छे कपड़े पहन कर बैठक में भाग
लेने के लिए नहीं आया।
बैठक शुरु होते ही जिलाधिकारी ने कहा-इस इलाके में बाढ़ हर साल आता है। बाढ़ आने से सरकारी कार्यालयों में उत्सव का माहौल होता है। मेरे जिले के सभी अधिकारी, अभियंता से लेकर ठेकेदार तक बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लग जाते हैं। इस बार भी हम लोगों को बाढ़ पीड़ितों की सेवा का मौका मिला है। इस सेवा से बाढ़ पीड़ितों को मदद तो मिलेगी ही,साथ ही हम लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। इसलिए पल्टू बाबू सबसे पहले बाढ़ग्रस्त इलाके में जाएंगे और वहां सबसे पहला काम करेंगे कि जितने भी मोबाइल टावर बंद हैं,उन्हें चालू कराने का प्रयास मोबाइल कंपनियों के साथ मिलकर करेंगे।
यह बात सुनकर पल्टू बाबू का माथा ठनका। बोले-बाढ़ पीड़ितों के लिए यह कैसी सेवा है ? जिलाधिकारी ने कहा कि जब इलाके में मोबाइल काम करने लगेंगे तो समझिए कि, पीड़ितों को आधी मदद मिल चुकी है। बाढ़ में फँसे हुए व्यक्ति की मोबाइल चालू हो जाने से उसकी भूख-प्यास की तड़प मिट जाएगी। दूसरी बात यह है कि,मोबाइल चालू हो जाने से पीड़ित व्यक्ति वीडियो बनाकर प्रशासन को भेजता रहेगा कि वह बाढ़ में किस कदर फंसा हुआ है। इससे उस तक मदद पहुंचाने
में आसानी होगी। अगर किसी का घर ढह गया है तो,वह तस्वीर खींचकर भेजेगा,जिससे घर बनाने के लिए सरकार से आवंटन मिलने में आसानी होगी। इसके बाद उसके मकान को बनाने के लिए अभियंता को भेजा जाएगा। ठेकेदार को भेजा जाएगा। घर बन जाने के बाद नेता उसका उद्घाटन करने जाएंगे। इससे बाढ़ पीड़ितों की अच्छी-खासी मदद मिलेगी। बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा भी मोबाइल के जरिए मिलेगा।
इसके बाद पल्टू बाबू बाढ़ पीड़ितों की सेवा में चले गए। मोबाइल टावर चालू कराया। एक बाढ़ पीड़ित ने उन्हें टोकते हुए कहा,हम लोगों को खाने के लाले पड़े हैं और तुम हमारा फोटो खींच रहे हो। वे बोले,सरकार की ओर से खाने के लिए सब कुछ मिलेगा। सब्र करो खाना आता ही होगा। एक ने कहा,मेरा घर गिर गया है। पल्टू बाबू ने कहा,अभियंता आते होंगे,सब्र करो घर बन जाएगा। बाढ़ पीड़ितों की सेवा करके पल्टू बाबा अपने घर चले गए।
बाढ़ आई और चली गई। इसके बाद राज्य की राजधानी में बाढ़ पीड़ितों की सेवा में प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी देखने नेता आए,मंत्री आए,अफसर आए,अभियंता और ठेकेदार आए। सभी ने बाढ़ पीड़ितों की तस्वीरों की सराहना की। कहा,कितनी अच्छी तस्वीर है। भगवान करे इसी तरह बाढ़ आता रहे और लोगों को अच्छी तस्वीर देखने का मौका मिले। प्रदर्शनी देखने आए,बाढ़ पीड़ित सोच रहे थे क्या वे महज तस्वीर में दिखने के लिए बाढ़ पीड़ित हैं। कुछ बोलना चाहा तो सरकार के आदमी उनकी जुबान बंदकरा दिए। बोले,सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हो। बाढ़ सरकार नहीं लाती। बाढ़ खुद आ जाती है तो सरकार क्या करे। मदद तो कर ही रही है। बस इंतजार करो,मदद मिलेगी । इंतजार का फल मीठा होता है।

परिचय-रांची(झारखंड) में निवासरत नवेन्दु उन्मेष पेशे से वरिष्ठ पत्रकार हैं। आप दैनिक अखबार में कार्यरत हैं।

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