सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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करते उत्पात,
ठहाकों की बात
ज़ोरों की बरसात,
मिली जैसे सौग़ात।
लेकर हाथों में हाथ,
भीगते साथ-साथ
लगाते मिट्टी माथ,
दोस्तों का था साथ।
बारिश जब आती,
मस्ती रंग लाती
वानर सेना बन जाती,
खूब उधम मचाती।
पानी खूब उछालते,
मस्ती में खूब नाचते
इन्हें देख हम भरमाते,
चलो बच्चे बन जाते।
खिड़की से देख रही,
मगन मन बोल रही।
बचपन याद कर रही,
कविता मैं लिख रही॥