बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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बातें करते प्रेम की, मधुरस लगे मिठास।
बैठ समन्दर के निकट, इक-दूजे के पास॥
इक-दूजे के पास, प्यार की बातें करते।
जीने की ले चाह, साथ जीते हैं मरते॥
कहे ‘विनायक राज’, बीत जाती हैं रातें।
मीठे सपने देख, सुहानी करते बातें॥