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भवसागर से पार लगाएं

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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हार कर जिंदगी से,
असहाय कोई शरण में आए
सच्चा गुरु वही जो,
निष्पक्ष सीने से उसे लगाए।

स्नेह का हाथ रखे सिर पर,
तिमिर सभी मिटाए
ऊँच-नीच के भेदभाव को,
जग से दूर भगाए।

सफल बना दें सबका जीवन,
जन्म-मरण से मुक्ति दिलाए
मिट जाए ग़म का अंधेरा,
ऐसा रास्ता सबको दिखाए।

आँख से अश्रु आने न दे,
जीवन में संकट जब गहराएं
दीप जलें सबके घर में,
मिलकर खुशियाँ सभी मनाएं।

गुरु बिन ज्ञान नहीं जीवन में,
भ्रम ज्ञान भी गुरु ही कराएं।
सच्चे गुरु को नमन हमारा,
भव सागर से पार लगाएं॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।