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भाषा संयम खोती राजनीति

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’
कानपुर(उत्तर प्रदेश)
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इस सत्य को कोई भी नकार नहीं सकता है कि, जिस समाज की भाषा में सभ्यता होती है, उस समाज में भव्यता और दिव्यता होती है। किसी चुनाव से पहले धुआँधार प्रचार के ज़रिए मतदाता तक पहुँचने के चक्कर में आज राजनीति अपना भाषा संयम खोती चली जा रही है। एक-दूसरे के संगठन और नेताओं पर इस तरह आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं कि, जिसे बाद में देख-सुन कर खुद ही शर्मिन्दगी महसूस होती है। सबसे खराब स्थिति तब होती है, जब बढ़त हासिल करने के चक्कर में दूसरे के धर्म और महापुरुषों पर अनर्गल टिप्पणियाँ की जाती हैं, जिसके चलते अक्सर अप्रिय स्थितियाँ पैदा हो जातीं हैं। धरना-प्रदर्शन, जलसे-जुलूस द्वारा अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश की जाती है। सत्तर-बहत्तर साल के परिपक्व लोकतंत्र के लिए ये एक नामुनासिब चीज़ है। इसको नियन्त्रित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा मुनासिब स्थिति तैयार की जानी चाहिए। विडंबना ये है कि आयोग इस दिशा में उचित क़दम नहीं उठाए जा रहे हैं।

परिचय : अब्दुल हमीद इदरीसी का साहित्यिक उपनाम-हमीद कानपुरी है। आपकी जन्मतिथि-१० मई १९५७ और जन्म स्थान-कानपुर हैL वर्तमान में भी कानपुर स्थित मीरपुर(कैण्ट) में ही निवास हैL उत्तर प्रदेश राज्य के हमीद कानपुरी की शिक्षा-एम.ए. (अर्थशास्त्र) सहित बी.एस-सी.,सी.ए.आई.आई.बी.(बैंकिंग) तथा  सी.ई.बी.ए.(बीमा) हैL कार्यक्षेत्र में नौकरी(वरिष्ठ प्रबन्धक बैंक)में रहे अब्दुल इदरीसी सामाजिक क्षेत्र में समाज और बैंक अधिकारियों के संगठन में पदाधिकारी हैंL इसके अलावा एक समाचार-पत्र एवं मासिक पत्रिका(उप-सम्पादक)से भी जुड़े हुए हैंL लेखन में आपकी विधा-शायरी(ग़ज़ल,गीत,रूबाई,नअ़त) सहित  दोहा लेखन,हाइकू और निबन्ध लेखन भी हैL प्रकाशित कृतियों की बात की जाए तो-नीतिपरक दोहे व ग़ज़लें,एक टुकड़ा आज,ज़र्रा-ज़र्रा ज़िन्दगी,क्योंकि ज़िन्दा हैं हम(ग़ज़ल संग्रह) तथा मीडिया और हिंदी (लेख संग्रह) आपके नाम हैL आपको सम्मान में ज्ञानोदय साहित्य सम्मान विशेष है,जबकि उपलब्धि में सर्वश्रेष्ठ लेखक सम्मान,पीएनबी स्टाफ जर्नल(पीएनबी,दिल्ली) से सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मान भी हैL आपके लेखन का उद्देश्य-समाज सुधार और आत्मसंतुष्टि हैL

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