प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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भोलापन का लिये चेहरा,घूम रहे सब लोग।
गलती सभी छुपाकर बैठे,बढ़ जाते फिर रोग॥
समझ न पाये कोई जग में,चलते अपने चाल।
पीछे पीठ चलाते गोली,फिर पूछे क्या हाल॥
भोले-भाले बनते सारे,कोई समझ न पाय।
अपने ही जब दुश्मन निकले,देख सभी डर जाय॥
विडम्बना ये कैसी आयी,मानव बदले रंग।
खुशियाँ सारी लुट गयी है,हुए सभी अब दंग॥
सतरंगी दुनिया को देखो,फँसी हुई है जाल।
खुद ही गड्डा खोद रहे हैं,फिर पूछे क्या हाल॥