ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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प्रकृति और खिलवाड़…
धरती का श्रृंगार है प्रकृति,
जीवनदायिनी कहलाती है
फल, फूल और वनस्पति से,
आँगन-आँगन महकाती है।
हरा-भरा बनाती उपवन,
सुनहरे पुष्प खिलाती है
धूप से जो जल जाए तन,
रिमझिम बूँदों से सहलाती है।
मत पहुंचाओ क्षति कभी,
प्रकृति समानता लाती है
कंद-मूल, फल और मेवों से,
सबका जीवन महकाती है।
कहीं धूप तो कहीं छांव,
हर दिन खुशहाली लाती है
मन में उत्साह भरती सबके,
नया-नया रंग दिखलाती है।
माँ समान है प्रकृति हमारी,
सबको गले लगाती है।
मानवता का पाठ पढ़ाकर,
जीना हमें सिखाती है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।