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मनुष्य और मनुष्यता

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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मनुष्य शरीर, जन्म से मिलता है, मग़र मनुष्य तभी कोई बनता है, जब उसमें मानवीय गुण विद्यमान हों, इंसानियत हो, मनुष्यता हो। पशु सिर्फ भोजन और प्रजनन तक सीमित रहते हैं, अगर खाना-पीना व प्रजनन बस यही मनुष्य भी करे तो क्या वह मनुष्य कहलाने योग्य है ? मनुष्य होने के लिए मनुष्यता जरूरी है। मनुष्यता का सीधा संबंध आत्मकल्याण व लोक कल्याण से है, मनुष्यता के अंतर्गत व्यक्तित्व परिष्कार, सुसंस्कृत परिवार व सामाजिक समरसता-सहकारिता आदि मानवीय गुण आते हैं।
वे माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक भी सच्चे अर्थों में मनुष्य की श्रेणी में नहीं गिने जाएंगे, जो बच्चों को सिर्फ शिशनोदर की ही शिक्षा देते हैं। जिनका ज्ञान ‘परिवार के पालन-पोषण पर केवल ध्यान दो, समाज के प्रति कर्तव्यों की उपेक्षा करो, कमाओ-खाओ एन्जॉय करो, बस अपना उल्लू सीधा करो’ ही सिखाता है। निम्न चेतना युक्त माता- पिता श्रेष्ठता का ज्ञान बच्चों को देने में असमर्थ होते हैं। विवेक-बुद्धि पशु व मनुष्य के अंतर को
अलग करती है तथा आत्म उत्कृष्टता नरपशु व महामानव के अंतर को अलग करती है।
अपनी चेतना में उत्कृष्टता का वरण करें, श्रेष्ठ कर्म करें, मनुष्य बनें व उन्नति करें, स्वयं सुखी रहें व दूसरों को भी सुखी रहने दें। दूसरों के सुख के निमित्त बनें, मग़र जानबूझकर किसी के दुःख का निमित्त न बनें। याद रखें-जो बोएंगे, वही काटेंगे, श्रेष्ठ कर्म करेंगे तो श्रेष्ठता से जुड़ेंगे, खुशियाँ बांटेंगे तो ख़ुश रहेंगे।
इसीलिए कहा गया है कि-
‘मनुष्य का जन्म तो सहजता से मिल जाता है, लेकिन मनुष्यता कठिनाई से प्राप्त होती है।’
आइए हम सब मिलकर पुरानी गलतियों को न दोहराएं, सच्चे अर्थों में ‘मनुष्य’ बनने का प्रयास करें-
‘आओ अपनी भूल सुधारें,
शाश्वत का आह्वान करें।
‘मनुष्यता’ के गुण अपनाकर,
मानव बनें, महान बनें॥’

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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