सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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है अचल हिमगिरि शोभित,
धोला पट निर्मल ओढ़े
रम्य पाप शून्य परिमल लिए,
नीलाभ अम्बर ओढ़े।
धोलाधार उजास वैभव,
पसरी ज्यों, भुजा मुकुंद
गिरिराज संतति लघु सुत,
शीतल तुहिन पवन भरी।
श्वेतिमा रूप धरी सज युगों,
धरा मानो शीश सजे
ग्रीष्म में इन्द्र नील माला,
भू, डाले कुवलय गले।
नन्हीं अचल सह अंचल बिठा,
देवदारु बान घनेरे
अठखेलियाँ करे चुप, बिठा,
हरित श्याम वसन घनेरे।
उमड़-घुमड़ कर बादल यहाँ,
गरज-गरज उन्माद भिड़ते
रूई सम नर्म हिम उपहार,
सतरंगी इंद्रधनुष छटा बिखेरे।
रकम-रकम के पंख फैला,
नभचर उड़े छूने गिरि
मृदुल मनोरम दृश्य टोह ले,
लांघ सीमा अनंत गिरि।
सताती जब क्रूर लू ग्रीष्म,
सुखद मंद समीर बहे
वरदान है यहाँ गिरि हमें,
शीतल निर्मल जल बहे।
ऊँची श्रृंखला पर्वत माल,
लगता भूमि-नभ छुए
अरूणिमा लिए स्वर्णिम आभा,
दृश्य मनोहारी सोए।
मानव रचित परिंदे यहाँ,
उड़ते उन्मद उमंग लिए।
देश-विदेश से आ यहाँ,
होड़-सी लगाते, है यहाँ॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।