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मन का मौसम

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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आज का मौसम कुछ ऐसा है,
आज का मौसम मन जैसा है
काले बादल का आँचल ओढ़े,
धूप किरण है यूँ शरमाई
फिर खुला एकाएक झरोखा,
सुनहरी सूरत निकल के आई।

खेली उसने फिर आँख-मिचौनी,
पतझड़ में जैसे हो होली
आसमान ने तब चीर दिया दिल,
आँख से आँसू टप-टप रोली
आज का मौसम कुछ ऐसा है,
आज का मौसम मन जैसा है
कभी हँसाता,कभी बोलता कड़वी बोली।

साँस संभाली और मन ठहरा,
सर पर चमका इन्द्रधनुषी सेहरा
आज का मौसम कुछ ऐसा है,
आज का मौसम मन जैसा है
मन मौजी है दूर खड़ा है।

मैं कहाँ हूँ वो कहाँ है,
कुछ सोचा था भूल गया है
आज का मौसम कुछ ऐसा है,
आज का मौसम मन जैसा है
समय का पहिया ठहर गया है।

गर्मी है तपाती, हृदय को पिघलाती,
ठंडी हवा का झोंका उस पर
प्रीत का मर्म लगाती,
ऐसा है यह मन का मौसम
सच्चा है यह मन का मौसम,
संग-संग इसके चलो तुम।
मन में एक विस्तार मिलेगा,
और थोड़ा-सा प्यार बढ़ेगा॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

 

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