डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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माता के नौ रंग(नवरात्रि विशेष)
शक्ति दायिनी मात भवानी,
क्या कहूँ मैं अपनी जुबानी
तेरी महिमा अपरम्पार माँ,
कर बैठूँ ना मैं मूर्ख नादानी।
मुझे क्षमा करना हे माँ,
तेरी शरण मैं आई हूँ
जो मुझसे बन पाया माँ,
श्रद्धा-प्रेम मैं लाई हूँ।
तू जग की पालनहार माँ,
यहाँ सब तेरी ही माया है
तुमसे कुछ भी अलग नहीं,
तुझमें ही सब समाया है।
शुम्भ-निशुम्भ को मारनेवाली,
महिषासुर मर्दन करने वाली
विद्या, बुद्धि, बलदायिनी माँ,
तुम्हीं तो हो कल्याणी माँ।
तुमसे ही तो रूप श्रंगार हो,
तुम्हीं तो जिह्वा वाणी माँ
सुख-दुःख की कर्ता-धर्ता,
तुम्हीं हो मंगलकारिणी माँ।
नित-दिन जो पूजन करते,
मनवांछित फल पाते हैं।
तेरी कृपा जिन पर हो माँ,
सत्यकर्म पथ अपनाते हैं॥