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मेरा वतन भारत सबसे न्यारा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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गणतंत्र दिवस प्यारा, त्योहार वतन का है,
भारत हमें सिखाता, संसार वतन-सा है।

होता कहीं न जिसको, भारत ने कर दिखाया,
हर धर्म को मिला के, न्यारा वतन सजाया।

हर धर्म में ही रहता, इन्सानियत का मजहब,
मन, प्रेम और लगन से,इसको निभाते हैं सब।

सदियों से यही होता, इस देश की माटी में,
दुश्मन कहें ये किसने, कैसे भला बनाया।

भगवान की ये महिमा, भारत की भूमि पर है,
मन-बैर को मिटा कर, सबने इसे सजाया।

दुनिया दु:ख में कहती, भगवान ही रखवाले,
भारत में सभी हरदम, भगवान के मतवाले।

करते हैं देन प्रभु जी, तो कर्म भी सजते हैं,
इन्सान कर्म से ही,निज ज़िन्दगी रचते हैं।

हर वर्ष मनाता है, गणतंत्र दिवस प्यारा,
मेरा वतन है भारत दुनिया में सबसे न्यारा॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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