कुल पृष्ठ दर्शन : 265

धन्य तुम हो हे जन

दिप्तेश तिवारी दिप
रेवा (मध्यप्रदेश)

****************************************************

धन्य तुम हो भारतवासी,माटी सदा ऋणी रहेगी,
संघर्ष समय में सहयोग तुम्हारा,सदा गुणी रहेगी।

घर में रह कर तुमने,निज कर्तव्यों का मान रखा,
धन्यवाद तुम हो हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा।

माना सूरज डूब रहा,अँधियारा हम पे हावी है,
लेकिन हिम्मत हो तो,एक चींटी हाथी पे भारी है।

विकसित देश हुए पीछे,हमने अपना सम्मान रखा,
धन्य तुम हो हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा।

करतल ध्वनि में कम्पन,शंकर के डमरू वाला था,
और विषाणु में भी बल सर्वस्व मिटाने वाला था।

सरल नहीं था! लड़कर हमने अपना मान रखा,
धन्य तुम हो हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा।

कुछ ईश्वर हैं जिनका ऋणी समूचा देश रहेगा,
वो पुलिस,सिपाही,या फिर कोई उपचारक का भेष रहेगा।

नमन हमारा उनको,जिनने सबका ध्यान रखा,
धन्य तुम हो हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा॥

परिचय- दिप्तेश तिवारी का साहित्यिक उपनाम `दिप` हैl आपकी जन्म तिथि १७ जून २००० हैl वर्तमान में आपका निवास जिला रेवा (म.प्र.)स्थित गोलंबर छत्रपति नगर में है। आप अभी अध्ययनरत हैंl लेखन में आपको कविता तथा गीत लिखने का शौक है। ब्लॉग भी लिखने में सक्रिय श्री तिवारी की विशेष उपलब्धि कम समय में ही ऑनलाइन कवि सम्मेलन में सम्मान-पत्र मिलना है।

Leave a Reply