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मेरे प्रभु राम

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मेरे शुभचिंतक प्रभु राम हैं,
मेरे पूज्य पिता श्रीराम हैं
पूजन करुँगी राम का,
भजन करुँ राम का
चरण धूली सिर,
पर मैं रखूँगी
हाथ जोड़
विनती
करुँ
मैं।
‌ ‌
जल्दी सिंहासन पर बैठो राम,
होगा पूरण सबका काम
मझधार में पड़ी है अब,
नइया हे प्रभु हमारी
आप मेरी नैया का,
खेवनहारा हो
करा दो आप,
भवसागर
पार हे,
राम।

मन बेचैन है श्रीराम के दर्शन को,
कब जन-जन की मनोकामना
पूर्ण होगी कब सभी देखेंगे,
तयाग तपस्या बलिदानों
को,कब संपूर्ण होगा,
बाट निहारता जग
माँ शबरी जैसा,
दर्शन दे दो
हे महाप्रभु,
हनुमान
जैसा।

दुष्ट राक्षस खर को मार यज्ञ संवारे,
ताड़का को मार अहिल्या तारे
शिव के धनुष को तोड़ कर,
सिता संग में ब्याह रचाए
जनक प्यारी सीता से,
आप श्रीराम नाम से
आप सियाराम,
कहलाए हैं
नमन हो,
राम।

श्री राम कुटीर से मेरे प्रभु राम,
‘देवन्ती’ नमन तुझे करती है
भर दो आशीष जगत में,
यह वरदान माँगती है
हम सब आपके,
बालक हैं, हे
शुभज्योति,
हे देवता।
हे श्री,
राम॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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