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मेरे साँवरिया सरकार

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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लगा रहता उसी में दिल किया जादू कि टोना है।
बहुत प्यारा अनोखा मुख बदन श्यामल सलोना है।

न मानूँ मैं किसी की बात को, मत रोकना मुझको,
मेरा वो साँवरा, मीरा मुझे हर बार होना है।

लिए छवि नैन में उसकी, उसी के पास में बैठे,
नहीं दिखते किसी को हम, हृदय में एक कोना है।

अधर में बाँसुरी रखता बहुत हँसता मनोहर वो,
भले छूटे सकल संसार पर उसको न खोना है।

बिना देरी किए आता, कभी भी याद कर लूँ जब,
वही धन संपदा, सुख-चैन परिजन और सोना है।

पलक जो बंद कर लूँ आ खड़ा होता नयन में वो,
उसे है ज्ञात, उसके पग मुझे अँसुअन से धोना है।

सभी भूलें मेरी त्रुटि दोष कान्हा भूल जाता है,
नहीं कोई जगत में दूसरा वो तो अलोना है।

लगाऊँ भाव के मैं भोग, तुलसी प्रेम की डालूँ,
मुझे जो तोड़ना है प्रेम, तो बस प्रेम बोना है।

मुझे उसका सहारा‌ है, भरोसा भी उसी का है,
पकड़ वो हाथ ले जिसका कभी पडता न रोना है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।