श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************
ध्यान में रखना दुनिया वालों,नारी नहीं है अब बेचारी,
अपने मन-मस्तिष्क में डाल लेना,मैं हूँ हिन्द की नारी।
नहीं किसी से डरने वाली,नहीं पग पीछे रखने वाली,
दुश्मनों से भी टकरा जाऊँगी,मैं ही दुर्गा-मैं हूँ काली।
अत्याचार नहींं छोड़ा तो झाँसी की रानी बन जाऊँगी,
बांध कमर में ढाल-तलवार,सीमा पर मैं आ जाऊँगी।
हम बहन-बहू-बेटियों को,गलत नजर से देखना नहीं,
नजर झुका के बातें करना,वरना बात होगी सही नहीं।
मैं पहले की अनपढ़ नासमझ महिला भी अब नहीं हूँ,
मैं गगन का चाॅ॑द नहीं,मैं गगन के सूर्य रुप से बनी हूंँ।
मैं पढ़ी-लिखी संस्कारी नारी,ज्ञानी विद्ववान कहाती हूँ,
मैं चन्द्रलोक का भ्रमण करती,मैं आज की श्रीमती हूँ।
मैं भी सरकारी कर्मचारी हूंँ,मुफस्सिल में तैनात रहती हूँ,
जो भी मुश्किल आए सामने,मैं नहीं किसी से डरती हूँ।
तुम हन्टर-लकड़ी से मुझे मारोगे,तो मैं इलाज कर लूगी,
मैं कलम की मार मारुँगी,सदा के लिए बर्बाद कर दूँगी॥
परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।