बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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होली का त्यौहार यह,खेलो रंग गुलाल।
मौसम है यह प्रीत का,बहके-बहके चाल॥
बहके-बहके चाल,पिचकते हैं पिचकारी।
फागुन मस्त बहार,लिए हैं यौवन सारी॥
कहे ‘विनायक राज’,खेलते हैं हमजोली।
रंगों का त्यौहार,मना लो पावन होली॥