कवि योगेन्द्र पांडेय
देवरिया (उत्तरप्रदेश)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…
युवा शक्ति भारत की आगे बढ़ युग निर्माण करे,
नई सुबह की नई चेतना से तन मन में प्राण भरे।
जिसके भुजबल के आगे पर्वत शीश झुकाते हैं,
जिनके त्याग-समर्पण हमको नई राह दिखाते हैं।
उन वीरों के हेतु समर्पित, दीपक एक जलाना है,
देशभक्ति की भावना, सबके मन में जगाना है।
वीरों की गाथा को हम जन-जन तक पहुंचाएंगे,
एक बार फिर से धरती पर नई क्रांति हम लायेंगे।
याद करेगी दुनिया अपने भारत देश महान को,
राजगुरु और भगत सिंह, के पावन बलिदान को।
जिस धरती पे जनम लिया उसका मान बढ़ाएंगे,
सदा हृदय में देशभक्ति, का हम दीप जलाएंगे।
जिस दिन विश्वगुरु का सपना सच हो जायेगा,
भारत देश को दुश्मन तब आँखें नहीं दिखायेगा।
‘आत्म निर्भर’ भारत का संकल्प सिद्ध हो जाए,
कठिन परिश्रम का बीज,सबके मन में बो जाएं।
ज्ञान और विज्ञान का सबको ध्वज लहराना है,
तरुणायी जो सोई है, उसको पुनः जगाना है।
जल,थल, नभ में भारत की सेना का मान बढ़े,
परमवीर और शूरवीरता की नव पहचान बढ़े।
जागो अब ऐ भारतवासी, समय जगाने का आया,
दूर करो तुम अपने मन के, अज्ञानता की छाया॥