कुल पृष्ठ दर्शन : 170

You are currently viewing एक और सावन…

एक और सावन…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

जाने क्यों, सभी डरा रहे हैं मुझे,
जिया में धुक-धुकी-सी मची है
बत्ती भी गुल है,
बोतल से मिट्टी तेल का बनाया भम्भा,
भक-भक कर जल रहा है।

सांय-सांय करती पवन,
हड़बड़ासी सी आकर
कभी भड़भड़ाती,
कभी हड़काती है
एक झलकी एक,
झक्की सावन की
झांय-झांय झोर-झोर कर,
पानी बरसता है
झींगुर भी चिल्लाता है,
उधर अधलगा टप्पर झल्ला कर
झन्न से गिर जाता है।

मैं झल्ली-सी झक मारे,
कभी इधर कभी उधर,…
संझा के सात बजे,
जैसे अमावस की
अधरतिया हो,
घुप अंधियारी
टर्र-टर्र की आवाज,
केंचुए की झीं-झीं-झीं
घटा ऊपर घटा, घटा ऊपर घटा,
एक की पूँछ एक पकड़े चूहों की
की बारात
लद्दी में लटपटाया कुकुर।

ओसारे में टँगी टूटी खटिया,
और गठियाया झूलता रस्सा
जैसे टोटका किया हो कोई,
ढुल-मुल होती डेकची
कोई मटिया कोई टोनही,
या कोई भूतनी
हवा बन हिला रही है,
सन्न हाथ-पाँव
भिन्नाई खोपड़ी,…
उफ़्फ़, आह, ओह्ह, इश्श…
भागो सब…।

चलो शुभ सोचते हैं,
मृदु शुचि, सुरुचि, सरल सौम्य सुलभ, शालीन,शिष्ट, शोभित
शांत, शीतल सरस, सुमधुर, सुहाना और साहित्यिक…….
कुछ ऐसा…कि….,
मोहब्बत बरसा दे न तू सावन आया है
रिमझिम रिमझिम रुनझुन रुनझुन।
भीगे भीगे रुत में हम तुम तुम हम,
चलते हैं, चलते हैं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply