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‘रंगभूमि’ को बताया सामाजिक असमानता का साहित्यिक दस्तावेज

पटना (बिहार)।

जनवादी लेखक संघ, बिहार और जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद रचित उपन्यास ‘रंगभूमि’ के १०० साल पूरे होने पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें विमर्श का विषय ‘आज के संदर्भ में रंगभूमि’ था। अध्यक्षता डॉ. नीरज सिंह ने की।

संघ कार्यालय जमाल रोड में इस गोष्ठी में विषय प्रवेश कराते हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रो. नीलांबुज ‘सरोज’ ने कहा कि मौजूदा दौर में ‘रंगभूमि’ में उठाए गए मुद्दे प्रासंगिक हैं। संघ के संरक्षक मंजुल कुमार दास ने कहा कि नौकरशाही तथा पूंजीवाद के विरुद्ध जनसंघर्ष, सत्य और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण शोषण तथा स्त्री दुर्दशा का मार्मिक चित्र ‘रंगभूमि’ में अंकित है। अध्यक्षीय वक्तव्य डॉ. सिंह ने दिया। संपादक विजय कुमार सिंह, हसन इमाम, अरुण कुमार मिश्र, सर्वोदय शर्मा, और मोर्चा के महासचिव मुन्ना प्रसाद ने भी विचार व्यक्त किए। कुमार विनीताभ ने संचालन किया।