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वीर समर में आओ

मंजू भारद्वाज
हैदराबाद(तेलंगाना)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

सुन लो युग की नई जवानी,
आज धरा पर आना होगा।
और कब्र में पड़ी लाश को,
फिर से उसे जगाना होगा।

आजादी आ गई मगर हम,
अब तक आजाद नहीं हैं ।
लुटे हुए हैं अब तक देखो ,
अब भी आबाद नहीं है ।

कुत्तों के संग चाट रहा ,
जूठी पत्तल इंसान ।
आंख खोल कर देखो ,
कैसे तेरा हिंदुस्तान ।

कहीं दहेज की आग ,
चिता बन धू धु रे जलती है।
हाय देश की किस्मत कैसी ,
तरुणाई छलती है ।

जिन कंधों पर चढ़कर आगे ,
भारत को बढ़ना है ।
सात समंदर पार उतर कर,
मंजिल पर चढ़ना है ।

उसी तरुण को देखो कैसे ,
करता म्याऊं म्याऊं ।
आज देश का भावी नेता ,
देखो बना बिकाऊ ।

इसीलिए तो मैं कहती हूं ,
तरुणाई तू जाग ।
लंका गढ़ में जाकर वीरों,
आज लगाओ आग।

जीर्ण पुरातन इस भारत को,
फिर से नया बनाओ।
पांचजन्य बजे उठा,
देश के वीर समर में आओ।।

परिचय-मंजू भारद्वाज की जन्म तारीख १७ दिसम्बर १९६५ व स्थान बिहार है। वर्तमान में आपका बसेरा जिला हैदराबाद(तेलंगाना)में है। हिंदी सहित बंगला,इंग्लिश व भोजपुरी भाषा जानने वाली मंजू भारद्वाज ने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र में आप नृत्य कला केन्द्र की संस्थापक हैं,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत कल्याण आश्रम में सेवा देने सहित गरीब बच्चों को शिक्षित करने,सामाजिक कुरीतियों को नृत्य नाटिका के माध्यम से पेश कर जागृति फैलाई है। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,ग़ज़ल,नाटक एवं कहानियां है। प्रकाशन के क्रम में ‘चक्रव्यूह रिश्तों का'(उपन्यास), अनन्या,भारत भूमि(काव्य संग्रह)व ‘जिंदगी से एक मुलाकात'(कहानी संग्रह) आपके खाते में दर्ज है। कुछ पुस्तक प्रकाशन प्रक्रिया में है। कई लेख-कविताएं बहुत से समाचार पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं। विभिन्न मंचों एवं साहित्यक समूहों से जुड़ी श्रीमती भारद्वाज की रचनाएँ ऑनलाइन भी प्रकाशित होती रहती हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो आपको श्रेष्ठ वक्ता(जमशेदपुर) शील्ड, तुलसीदास जयंती भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान,श्रेष्ठ अभिनेत्री,श्रेष्ठ लेखक,कविता स्पर्धा में तीसरा स्थान,नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम,जमशेदपुर कहानी प्रतियोगिता में प्रथम सहित विविध विषयों पर भाषण प्रतियोगिता में २० बार प्रथम पुरस्कार का सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-देश-समाज में फैली कुरीतियों को लेखनी के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत करके दूर करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-दुष्यंत,महादेवी वर्मा, लक्ष्मीनिधि,प्रेमचंद हैं,तो प्रेरणापुंज-पापा लक्ष्मी निधि हैं। आपकी विशेषज्ञता-कला के क्षेत्र में महारत एवं प्रेरणादायक वक्ता होना है। इनके अनुसार जीवन लक्ष्य-साहित्यिक जगत में अपनी पहचान बनाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा साँसों की तरह हममें समाई है। उसके बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं है। हमारी आन बान शान हिंदी है।’

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