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माँ की क़ोई जाति नहीं

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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माँ की कोख में था आने वाला,
माँ की साँसों-धड़कन दिल की खुशियाँ लाने वाला।

माँ बड़े फक्र से सखी सहेलियों हमजोली गली मोहल्ले आसपास पड़ोसी से कहती,
औरत की तकदीर के दो ख़ास ईनाम-शौहर और औलाद की औरत औकात नाज़।

कोख की औलाद दुनियाभर की चाहत खुशियों दामन का नाज़,
कोख में आते ही मेरे,माँ की जिंदगी एक कठिन चुनौती…
मिचली,उल्टी ना,भूख-ना प्यास सिर्फ प्यार का विश्वास।

लम्हा-लम्हा दिन मेरे आने के दिन गिनती मेरी चाहत का लम्हा-लम्हा जीती,
मुझे जो पसंद माँ को भाता खुद की चाहत उसे याद नहीं..
मेरी चाहत की खुशियों से ही माँ का नाता।

माँ की कोख में हाथ-पैर मारता,बहुत सताता,
मेरे हाथ-पैर की मार की असह वेदना को भूल अभिमान के मुस्कान की शान।

सबको बताती मर्यादा मान,
बाबुल-ससुराल के अरमाँ का जमीं-आसमां हमारी कोख का गर्व मान…
जैसे-जैसे मेरे दुनिया में आने के दिन आने लगे करीब,
माँ,दर्द तकलीफ से बेहाल।

दर्द-दुखों को करती बर्दाश्त,
जैसे मैं आने वाली औलाद कुदरत के करिश्मे का तोहफा,नज़राना..
उसकी जिंदगी की सल्तनत का ताज,
रहीम-करीम खुदा का हर वक्त करती उसके करम के सब्र का शुक्रिया।

मांगती दुआ ये परवरदिगार बख़्श मुझे, इबादत का बेहतरीन ईनाम मेरी औलाद
नेक नियति का बेहतरीन नायाब इंसान, हो फौलाद-सी मेरी औलाद…
मेरी नजरों का नूर जहाँ की उम्मीदों अरमानों का जिन्दा जज्बे-जज्बात जांबाज।

मैं अभी जमाने में आया ही नहीं,
सिर्फ आने के अंदाज़ आगाज़..
माँ के प्यार-परवरिश के लाखों खाब,
माँ दुनिया में प्यार,मोहब्बत की इबारत, लफ़्ज,हर्फ़,हद,हकीकत दिल, दुनिया-जिंदगी का दीन ईमान…
खुदाई शान गीता,बाइबिल कुरान, प्रार्थना,अज़ान,नाबाज़ की बुनियाद।

मेरे दुनिया में आने का आया दिन,
परिवार कुनबे समाज के हर शख्स का दिल चेहरा कशमकश…
काश! कि खुशियों की चाह की राह में।

माँ नौ महीने ना जाने कितने अरमानों के खाब सजाए,
तमाम तकलीफों को अपनी तक़दीर के दामन में मुकद्दर के मसीहा औलाद के खैरमकदम गुजारे।

ख़ास मौका मुबारक मेरे जहाँ जमाने से रूबरू होना,
ज़माने की जिंदगी का शानदार फलसफा..
माँ की साँसों धड़कन दिल जिगर जान का अजीम हिस्सा,
जहाँ में वाहिद मुकम्मल आजाद उड़ान का परिंदा।

माँ की कोख से उसके ममता के आँचल की छांव की वक्त का आया पैगाम,
माँ बेहाल,उसकी जिंदगी में बेहद दर्द.. तकलीफ के मंजर की वजह उसके अरमानों का नाज़..औलाद।

माँ ने सारे दुःख-दर्द को सहा,
जब मैं दुनिया में आया..
पहला लफ़्ज माँ ही बोला,
माँ की कोख में मुझे कुछ भी नहीं पता..
मगर जब मैंने जहाँ में कदम रखा माँ को देखा।

माँ का चेहरा ही खुदा-भगवान् का यकीन वजूद,
माँ भगवान जिसे देखा नहीं,से न्यारी प्यारी..
माँ ने ही भगवान को भी जना,
जहाँ में औलाद,
माँ की कोख से माँ की ममता का आँचल…
दुनिया में प्यार-परवरिश का कवच।

किसी बुरी नज़रों वाले शत्रु से सुरक्षा का परम् शक्ति सत्ता का वरदहस्त वरदान,
माँ ने अपना दूध पिला अमृत पान कराया..
जहाँ के तमाम विष विषाणु बिमारी से निज़ात दिलाई,
औलाद को ना हो जीवन में सेहत स्वास्थ्य की कोई परेशानी…
पैदाइश के प्रथम प्रहर में स्तनपान करा मर्यादा महिमा की शक्ति का आशीर्वाद दिया।

माँ की कोख पला,धरती पर पहला कदम माँ बोला,
माँ ने दुनिया से परिचित करवाया…
माँ ने जिंदगी दी,माँ ने दुनिया समाज बताया.. रिश्तों से मिलवाया…
माँ की उंगलियां पकड़ कर चलना सीखा,
माँ ने ही हाथ में कलम पकड़ाई।

माँ के चरणों में स्वर्ग और माँ के आँचल में संसार,
ब्रह्मांड का सत्यार्थ प्रकाश है..
माँ के दूध के कर्ज़ फ़र्ज का पंच महाभूतों के शरीर में माँ आत्मा श्वांस धड़कन प्राण का आधार।
माँ देवकी है,यशोदा है,सरस्वती हैं,
माँ यथार्थ का जीवन मूल्यों का सार प्रकाश है।

माँ की क़ोई जाति नहीं,मज़हब नहीं,
माँ में क़ोई भेद-विभेद भाव नहीं..
माँ में क्रोध घृणा नहीं,
माँ करुणा,प्रेम,दया,क्षमा,सेवा की जागृत ईश्वर साक्षात् ईश्वर की भी जननी जग जननी…
माँ जन्म देती,लालन-पालन भरण- पोषण करती।

माँ के चरणों में स्वर्ग का सुख,
अंचल में युग संसार…
माँ दुनिया में रिश्ते-नातों से परिचय करवाती..
पिता को स्वयं बताती बापू के जीवन मूल्य,
अरमानों के औलाद से रूबरू करवाती॥

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।
अनपढ़ औरत पढ़ ना सकी फिर भी,
दुनिया में जो कर सकती सब-कुछ।
जीवन के सत्य-सार्थकता की खातिर जीवन भर करती बहुत कुछ,
पर्यावरण स्वच्छ हो,प्रदूषण मुक्त हो जीवन अनमोल हो।
संकल्प यही लिए जीवन का,
हड्डियों की ताकत से लम्हा-लम्हा चल रही हूँ।
मेरी बूढ़ी हड्डियां चिल्ला-चीख कर्,
जहाँ में गूँज-अनुगूँज पैदा करने की कोशिश है कर रही,
बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ,स्वच्छ राष्ट्र, समाज,
सुखी मजबूत राष्ट्र,समाज॥

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