डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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कथा सम्राट
शख्सि़यत महान
थे प्रेमचंद।
जन्मे लमही
शख्सि़यत का नाम
धनपत था।
उर्दू-फारसी
शख्सि़यत का शिक्षा
था रोजगार।
गोरखपुर
गौरव शख्सि़यत
इतिहास है।
अमर कथा,
शख्सि़यत साहित्य
‘सोजे़ वतन।’
उपन्यास भी
शख्सि़यत समझे
जागृत भाव।
संवेदनाओं की
शख्सि़यत हैं लिखे
कथा अनेक।
पैनी थी धार
शख्सि़यत लिखते
भूख गरीबी।
‘पूस की रात’
शख्सि़यत दिखाते
किसान पीड़ा।
‘गोदान’ रचे
शख्सि़यत सोचते
सोए क्यों ‘होरी ?’
बिका ‘कफ़न’
शख्सि़यत रचते
प्रमुख भूख।
जलन-द्वेष
शख्सि़यत दिखाते
पंच देवता।
‘बूढ़ी काकी’ से
शख्सि़यत बताए
बुजुर्ग स्थिति।
‘ईदगाह’ भी
शख्सि़यत बताते
हामीद स्वप्न।
दाँव लगती
शख्सि़यत बताते
बेटियाँ सदा।
रोना-विलाप
शख्सि़यत दिखाते
‘निर्मला’ सदा।
टूटते मूल्य
शख्सि़यत ‘गबन’
मध्यम वर्ग
थे हीरा मोती
शख्सि़यत बताए
बैल समझे।
नमक मूल्य
शख्सि़यत दिखाते
ईमान ऊँचा।
है भोग लिप्सा
शख्सि़यत दिखाते
जुआ खेल-सा।
परीक्षा होए
शख्सि़यत दिखाए
गैरतहीन।
झझकोरते
शख्सि़यत हृदय
सोच-विचार।
दीपक आप
शख्सि़यत प्रखर
सदा नमन॥
परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है