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शिव ही सर्वत्र

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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शिवरात्रि विशेष….

यह सनातनी विश्वास है,
शिव की महिमा का अनन्त इतिहास है
मुश्किल वक्त में शिव का ही दिखता सर्वत्र,
सबसे उन्नयन अहसास है।

सबके प्रिय हैं शिव, महिमा है प्यारी,
भक्तजनों को है खूब प्यार
सब करते इनका ख़ूब सत्कार,
जन-जन तक पहुंचाते सुख-सम्पदा सारी।

विपत्तियों में रक्षक बनते,
सब भक्तों का दर्शन है करते
इनकी लीला बड़ी निराली,
सबमें खुशियों संग देते हरियाली।

आस्था और विश्वास में सबसे उत्तम,
कहते हैं भक्तजन सब देवों में हैं सर्वोत्तम
दया और प्यार हैं इनके उपहार,
सब भक्तों को हैं करते प्यार।

वस्त्र वेषभूषा में सबसे अन्तर,
जन-जन तक दिखते सबसे सुन्दर प्रत्युत्तर
आशा और विश्वास की हैं एक धार,
मजबूती से स्नेह का दिखलाते हैं प्यार।

आज़ पृथ्वी पर हैं सबसे भारी,
सबमें सुन्दर है सबसे हितकारी।
प्रिय भोले की होती है पुकार,
सबमें दिखता अनन्य भाव का सत्संगी प्यार।
आओ हम-सब मिलकर गाएं,
प्रिय भोले को हृदय में बसाएं॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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