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संस्कृति संरक्षण के लिए आगे आएँ साहित्यकार-डॉ. गुप्त

जयंती-सम्मान-विमोचन..

उज्जैन (मप्र)। 

देश को जागृत करने के लिए शिक्षकों में संचेतना जगाना आवश्यक है। नई पीढ़ी को पढ़ाना एक आराधना के समान है। महामना पं मालवीय और अटलबिहारी वाजपेयी ने इतिहास को महत्वपूर्ण मोड़ दिया। हमारी संस्कृति को छुड़ाने की कोशिश की जा रही है, इस दिशा में साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों को सजग होना होगा।
यह बात ३० वें संचेतना साहित्य महोत्सव में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एवं महामना मालवीय जी के जयंती दिवस पर ५वे अटल जयंती समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व संभागायुक्त एवं पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त ने कही। इस महोत्सव में साहित्यकारों को अर्पित किए गए राष्ट्ररत्न एवं भारत गौरव अलंकरण देने के लिए शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार भार्गव (पूर्व संभागायुक्त, भोपाल), मुख्य वक्ता प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा (कुलानुशासक, विक्रम विवि), विशेष अतिथि राजेश जैन (अध्यक्ष राष्ट्रीय नवरत्न जैन संघ) ने किया। अध्यक्षता हरेराम वाजपेयी(अध्यक्ष , हिन्दी परिवार इन्दौर) ने की। स्वागताध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा (अध्यक्ष-संचेतना) थे। संस्था प्रतिवेदन डॉ. प्रभु चौधरी (राष्ट्रीय महासचिव) ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर राष्ट्ररत्न अलंकरण से डॉ. गुप्त, रामायण मर्मज्ञ साहित्यकार नरेन्द्रकुमार मेहता तथा श्रीमती रंजना फतेपुरकर को अतिथियों द्वारा शॉल, प्रतीक चिन्ह एवं अभिनंदन-पत्र अर्पित कर सम्मानित किया गया।
समारोह में डॉ. चौधरी की नवप्रकाशित पुस्तक ‘देवतुल्य मानव’ एवं श्री मेहता की पुस्तक ‘राम की दुर्लभ कथाएं’ एवं समारोह संयोजक यशवंत भण्डारी की पुस्तक ‘समुंदर में मोती’ का भी लोकार्पण किया गया।
मुख्य वक्ता प्रो. शर्मा ने कहा कि जो सबको प्रेरणा दे और सर्व कल्याणकारी हो, वही सच्चे अर्थों में देवतुल्य होता है। महामना मालवीय जी और अटल जी इस प्रकार के मनुष्य रत्न थे। मुख्य अतिथि डॉ. भार्गव ने कहा कि प्रजा के हित में राजा का हित है, इस बात को ‘भारतरत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी ने साकार किया।
फ्यूचर विजन कॉलेज में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. चौधरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निसार फारूकी ने दिया।

काव्य फुहार भी…

देर शाम तक आयोजित कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने काव्य पाठ किया। अध्यक्षता यशवंत भंडारी ने की। मुख्य अतिथि महेंद्र सनाढ्य (नाथद्वारा) एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. दीपेंद्र सिंह सिसोदिया (दाहोद) रहे। इस सत्र में वरिष्ठ कवि एम.एल. फुलपगारे, शिशिर देसाई, शैली भागवत, कविता वशिष्ठ, प्रकाश त्रिवेदी, प्रतिमा सिंह आदि ने सरस कविताएं सुनाईं। इस अवसर पर पुस्तक के लेखकों को ‘भारत गौरव सम्मान’ एवं कवियों को ‘अटल श्री काव्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया। संचालन प्रतिमा सिंह ने किया।

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