गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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पृथ्वी दिवस विशेष….

हम धरा को माता मानते हैं इसलिए ‘गर धरा न होती तो’ हम होते ही नहीं। आज हम जो कुछ भी हैं वह एक उस माता की कृपा है जिसने अनेक कष्ट सहन कर हमें जन्म दिया और दुसरी यह धरती माता है जो हमें बाकी सब कुछ अर्थात सभी कुछ दे रही है, जबकि हम इस धरती माता के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रहे हैं। अर्थात सभी मिलकर ऐसा दोहन कर रहे हैं जो किसी भी हालात में शोभनीय नहीं माना जा सकता।
इसलिए आवश्यकता है यह सोचने की कि हमारी क्या हालत होती, यदि ‘गर धरा न होती तो’। अभी भी समय है कि हम अपनी आवश्यकताओं पर अंकुश लगा के रखें, ताकि यह धरा हरी-भरी रहे और यह स्वतः जो हमें दे, उसी पर सन्तोष करना सीखें। उपरोक्त तथ्य को हम ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करें, सभी को प्रेरित भी करें ताकि अपनी धरती माता के प्रति सब अपना दायित्व समझें ही नहीं, बल्कि उनकी स्वयं तो पालना करें ही, औरों से भी करवाएं, क्योंकि सामूहिक प्रयास का नतीजा हमेशा न केवल सुखदायी होता है, बल्कि लम्बे समय तक प्रभावी भी रहता है।