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सब अभिनय

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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ये बात पते की है,
कि जो दिखाई देता है
वो होता नहीं है और,
जो होता है वो दिखाई नहीं देता है।

चेहरे पर एक चेहरा,
लगा लेते हैं लोग
ताकि असली चेहरा,
सामने न आ जाए।

कितनी आसानी से,
सफेद झूठ बोल जाते हैं
चेहरे पर एक शिकन तक,
नहीं पड़ती है, न ही कोई शर्म।

कौन कहता है, कि
हमें नाटक करना आता नहीं
ये दुनिया एक रंगमंच है,
किस्म-किस्म की भूमिका निभाते हैं।

ये बात सोलह आने सच है, कि
इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है।
कुछ मोह माया है और,
बाकी सब अभिनय है॥