बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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एक गाँव में ममता नाम की लड़की अपनी विधवा माँ के साथ रहती थी। वह बहुत प्रतिभावान थी, विद्यालय में हर कक्षा में प्रथम आती थी।
उस गाँव के सरपंच की इच्छा थी, कि वह उसका विवाह अपने किसी रिश्तेदार से करवाए, लेकिन ममता नहीं चाहती थी कि वह अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना विवाह करे। मजबूरी इतनी थी, कि वह सरपंच को मना नहीं कर सकी।
सरपंच ने अपनी इच्छा के मुताबिक उसका विवाह अपने रिश्तेदार के साथ करवा दिया। विवाह होने के पश्चात वह अपने ससुराल आ गई, लेकिन ससुराल वाले नहीं चाहते थे कि ममता अपनी पढ़ाई जारी रखे। ममता ने उनका विरोध किया, क्योंकि वह चाहती थी कि मैं अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखूं, जिससे अध्यापिका बनने का सपना पूरा कर सकूं, लेकिन परिवार वालों ने उसकी यह बात कतई नहीं मानी। ममता ने सबका विरोध करने का निश्चय किया और चल पड़ी अपनी मंजिल की ओर। उसने महाविद्यालय में प्रवेश लिया। अपनी पढ़ाई जारी रखी एवं महाविद्यालय में भी स्वर्ण पदक विजेता रही।
एक दिन ऐसा आया कि उसका अध्यापिका बनने का सपना पूरा हो गया। आज उसकी आँखों में सफलता के आँसू और चमक दोनों थे। अब उसने निर्णय लिया, कि किसी भी निर्धन और बेबस लड़की को मेरी तरह परेशान नहीं होने दूंगी। जरूरतमंद की हर संभव मदद करूंगी। उसने अपने घर पर ही जरूरतमंद व गरीब लड़कियों को बुलाकर पढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी ट्यूशन क्लासेस में लड़कियों की संख्या बढ़ने लगी। अब चारों तरफ ममता के चर्चे होने लगे थे। सभी लड़कियाँ उसको ‘दीदी’ के नाम से पुकारने लगी थी। अधिकतर लड़कियों की नौकरी भी लगने लगी थी। ममता की इस मुहिम में नौकरी लगने वाली लड़कियाँ भी जुड़ती चली गईं। एक बहुत बड़ी संस्था के रूप में ममता की कोचिंग क्लास उभर कर आई।
इस तरह ममता ने अपने साथ-साथ अन्य लड़कियों के जीवन को भी सुधारा। ममता का जीवन इस बात का उदाहरण है, कि अगर एक लड़की में साहस और मेहनत की भावना हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में सफलता हासिल कर सकती है। उसने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया, पर कभी भी अपनी राह नहीं बदली। उसका विश्वास था, कि अगर हमारी नीयत सही हो और हम अपने सपनों के प्रति ईमानदार रहें, तो कोई भी रुकावट हमें हमारे लक्ष्य तक पहुँचने से नहीं रोक सकती। वह एक प्रेरणादायक महिला के रूप में जानी गई, जिसने अपनी मेहनत और साहस से न सिर्फ अपनी ज़िंदगी बदली, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया।
यह उसके लिए न सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता थी, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक संदेश था कि लड़कियाँ भी किसी से कम नहीं होतीं।
ममता की कहानी हमें यह सिखाती है, कि जीवन में मुश्किलें तो आएँगी, लेकिन अगर हमारी मेहनत और निष्ठा मजबूत हो, तो कोई भी बाधा हमें हमारे लक्ष्य से नहीं हटा सकती। उसका जीवन प्रेरणा देता है कि हमें कभी भी अपनी ताकत को कम नहीं आँकना चाहिए और न ही किसी भी चुनौती से डरना चाहिए। अगर हम अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करें, तो हर कठिनाई को पार करना आसान हो जाता है। ममता ने अपने जीवन के इस अध्याय में केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी कुछ करने का ठान लिया था, जिसको पूरा कर दिखाया।
ममता जैसे साहसी और प्रेरणादायक लोग समाज को आगे बढ़ाने के लिए अनमोल होते हैं। उनके जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि हम भी अपने सपनों को साकार करने के लिए किसी भी हाल में संघर्ष कर सकते हैं और समाज में बदलाव ला सकते हैं।