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सुभाष:भारत माँ का लाड़ला

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
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सदा अथक संघर्ष ने, माँ भारत के त्राण।
आत्मबल विश्वास दे,कर सुभाष निर्माण॥

भारत माँ का लाड़ला, महावीर सम पार्थ।
मेधावी था अति प्रखर, दानवीर परमार्थ॥

मेरूदंड स्वाधीनता, महाक्रान्ति संघर्ष।
कर तन मन अर्पण वतन, तज शासन उत्कर्ष॥

बँधी गुलामी पाश में,भारत माँ अवसाद।
देखी सुभाष जन यातना, गोरों का उन्माद॥

आ उबाल रग खून में, गोरों से प्रतिशोध।
बीच अहिंसा सत्य पथ, बने क्रान्ति अवरोध॥

जैसे को तैसा करें, रक्त के बदले रक्त।
थी सुभाष रणनीति यह, गरम पंथ आशक्त॥

सजी हिन्द की फ़ौज अब, शंखनाद जय हिन्द।
आज़ादी उपहार मैं, दूँ उत्तर से सिन्ध॥

तुम सब अपना खून दो, दलन करूँ अंग्रेज।
दूँगा मैं स्वाधीनता, रखना वतन सहेज॥

कोटि-कोटि सैलाब जन, रक्तदान तैयार। 
नव उमंग हर्षित चला, माँ भारत उद्धार॥

गोरों की पैनी नज़र, थी सुभाष चहुँओर।
किया इकट्ठा सैन्यबल, महायुद्ध घनघोर॥

बर्मा से होते हुए, पहुँचे वे जापान।
रनिवासर तैयारियाँ, वतन मुक्ति अभियान॥

आज़ाद हिन्द फ़ौज अब, रण को था तैयार।
सहमा था शासन ब्रिटिश, भौंचक्के गद्दार॥

भर उड़ान जापान से, वे मंचुरिया देश।
आयी सन् पैंतालिसी, दुखद आर्त संदेश॥

वायुयान हो दुर्घटित, सहसा ताईवान।
शोकाकुल जन मन वतन, सुन सुभाष अवसान॥

अस्त हुआ रणबाँकुरा, भारत माँ की लाज़।
हवन कुण्ड स्वाधीनता, बलिदानी सरताज॥

था संगम गुण कर्म का, त्याग शील सम्मान।
नायक था जनता वतन, प्रगति राष्ट्र अरमान॥

है कृतज्ञ माँ भारती, संसदीय गणतंत्र। 
आभारी करती नमन, जनता देश स्वतंत्र॥

साश्रु नमन श्रद्धाञ्जली, नेताजी जयकार।
दे ‘निकुंज’ कवितावली, नत कृतज्ञ उपहार॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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