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क्या यही हमारा भविष्य ?

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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पेड़ पर बैठे कुछ पक्षी बातचीत कर रहे थे। तभी एक पक्षी बोल उठा,-“मेरा दम क्यों घुट-सा रहा है।”
“दम घुट रहा है ?” दूसरे पक्षी ने पूछा।
“हाँ ! हाँ ! मुझसे तो बोला भी नहीं जा रहा है। बहुत दिक्कत हो रही है।”
तीसरे ने कहा,-“कोई जल्दी से पानी तो लाओ।”
दूसरा पक्षी पानी लेने दौड़ पड़ा।
अन्य पक्षी बोले,-“ऐसे कैसे तुम्हारा दम घुट सकता है ? हम सब तो पेड़ पर बैठे हैं। वो भी बड़े पेड़ पर…।”
तभी एक उम्रदराज पक्षी बोला,-“हम भले ही पेड़ पर… बड़े पेड़ पर बैठे हैं, लेकिन अपने-आपको ज्ञानी और आधुनिक समझने वाले इंसान ने अपने साथ हमारा जीवन भी दांव पर लगा दिया है।”
“वह कैसे ?” अन्य पक्षियों ने पूछा।
“इनकी जरूरतों ने जंगलों को कांक्रीट के डिब्बों में और पहाड़ों को समतल बना दिया। जंगल क्या गए, मौसम ने अपना अंदाज बदल दिया। जब चाहे तब बरसता है, यदि नहीं चाहे तो चारों तरफ सूखा…। सौंधी हवाएँ विषैला धुआँ बन सबके प्राण ले रही है। देखो अपना पक्षी कैसे तड़प रहा है।”
इतने में दूसरा पक्षी तेज रफ्तार से आता है। उसकी भी साँस बुरी तरफ फूल रही थी।
पहले वृद्ध ने पूछा,-“क्या हुआ ? पानी नहीं मिला ?”
”जी, दूर-दूर तक मुझे साफ पानी दिखाई नहीं दिया। आसपास सभी नदियाँ, नाले बन गई हैं। शहर की ओर भी गया, लेकिन वहाँ भी कुछ हाथ न लगा।” और… बात पूरी भी नहीं हुई, तब तक उस दम घुटते पहले पक्षी के प्राण पखेरू हो गए।

अपने एक साथी के बिछड़ने और अन्य साथियों की दशा देख रोते हुए नन्हें पक्षी ने कहा,-“दादा जी, क्या यही हमारा भविष्य है…?”

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ है। इनकी जन्म तारीख १२ अगस्त १९८० (दिल्ली) है। श्रीमती अलापुरिया का वर्तमान और स्थाई निवास नवी मुंबई स्थित ऐरोली में है। महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख शहर मुम्बई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड., एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है, और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। कार्यक्षेत्र मुम्बई स्थित निजी महाविद्यालय है। रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन, किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैं। आपकी विशेषज्ञता नाटक ओर समीक्षा लेखन में में है। प्रमुख कविताएं- ‘आज कुछ अजीब महसूस…!’, ‘दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!’ और ‘उड़ जाएगी चिड़िया’ आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला है। यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा ‘श्रेष्ठ शिक्षिका’ के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस, विश्व महिला दिवस पर सावित्री बाई फूले बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से ‘जीवन गौरव पुरस्कार’ सहित राष्ट्रीय स्तर पर ‘कबीर कोहिनूर सम्मान’ (राजस्थान) आदि से सम्मानित किया गया है। अनेक बार स्पर्धाओं में आप प्रथम-द्वितीय विजेता बन चुकी हैं। डॉ. पूजा की लेखनी का उद्देश्य- “हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों, विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना है।”