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स्नेह बसाए उजड़ी दुनिया

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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आओ आओ प्यारे मेरे, स्नेह का पाठ पढ़ाते हैं,
हो जाय अगर सच्चा स्नेह तो, मूर्छित भी मुस्काते हैं।

सच्चा स्नेह ना मांगे कुछ भी, स्नेही खुद बतलाते हैं,
लैला-मजनूं, हीर-रांझा के, गीत सभी ही गाते हैं।

स्नेह की मर्यादा खातिर, रामसेतु बनवाते हैं,
स्नेह अमर है राधा-कृष्ण का, भ्रमर कली को खिलाते हैं।

माँ का स्नेह अतुल जग जाहिर, ईश्वर भी झुक जाते हैं,
बच्चों की मुस्कान की खातिर, पिता अश्व बन जाते हैं।

कहे ‘उमेश’ स्नेह की गरिमा, हम कह नहीं पाते हैं,
स्नेह बसाई उजड़ी दुनिया, हम स्नेह को शीश झुकाते हैं॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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