डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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सारा जहाँ उसी का है,
हर सुबह खुशनुमा हो जरूरी तो नहीं
पर रवि की किरणें हमे ये एहसास दिलाती है,
कि रात के अंधियारे के बाद
फिर एक नई सुबह आती है।
हर रात पूनम हो जरूरी तो नहीं,
पर लंबी रातों के इंतजार के बाद गर
करवा चौथ का चाँद नजर आता है,
तो लगे जैसे धरती आसंमा पर नूर बिखर जाता है।
हर मुहब्बत को मंजिल नहीं मिलती,
चोट खाकर भी जो दर्द सह जाए
हर हाल में जी ले, प्यार में मिट जाए,
ऐसा करना ईबादत से कम तो नहीं।
हर प्रयास सफल हो जरूरी तो नहीं,
पर कोशिश करने वालों की एक दिन जीत होती है।
चलते-चलते गिर जाते हैं लोग कई बार,
पर गिरकर जो संभल जाए सारा जहाँ उसी का है॥