हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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हिन्दी और हमारी जिंदगी….
हिन्दी दिवस सजाएं, खुशियाँ सदा मनाएं।
भारत की शान है ये, दुनिया में सब बताएं॥
थी चौदहवीं सितम्बर, उन्नीस सौ उनन्चास्,
अधिकार राजभाषा, का मिल गया बुझी प्यास।
भारत में सब तभी से, इस पर्व को मनाएं,
हिन्दी दिवस सजाएं…॥
भारत वतन की हिन्दी, सारा जहान बोले,
कितना है प्रेम इसमें, ये भेद ख़ुद ही खोले।
सम्मान की जुबां से, सब गीत गुनगुनाएं,
हिन्दी दिवस सजाएं…॥
इन्सान इस जहां के, हिन्दी को खूब जानें,
सब प्यार में इसी के, रहते बने दिलाने।
संसार में सभी जन भजनों को इसके गाएं,
हिन्दी दिवस सजाएं…॥
परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।