सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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तिमिर से लड़ो ओज मिलेगा,
आज नहीं, कभी तो मिलेगा
साहस, डगरें, हार मिलेगी,
रख धैर्य, विध्न दूर मिलेगा।
दीपक बुझा, जल धैर्य देखा,
हौसले सहित अंधड़ देखा
कपट हँसी जगत में देखी।
बढ़ा हौसला, उत्कर्ष देखा।
देख मकड़ी, का अथक प्रयास,
सिंहर उठी निरन्तर प्रयास
निज लक्ष्य, कैसे पहुंचेगी ?
औंधे गिर शून्य, सहमेगी।
फिसल कर उठती धर हौसला,
निंदा, उपेक्षा सह हौसला
परवाह कहाँ उसने की होगी!
उठी, फिर ऊर्जा भरी होगी।
नर्म पर लिए खग ही देखो,
उड़ते गिरते उन्मत देखो
हिम्मत से क्षितिज छूते देखो,
नि:सहाय मंद, होड़ देखो।
शिथिल तन, गिरता है उत्साह,
चाह, संघर्ष का दामन थाम
मंजिल कठिन नहीं ले आराम,
त्याग बिना नहीं होती वाह।
ठान ली कुछ तो सहन करना,
अस्थिर पग, धीरज बटोरना
कभी ताने, उपहास होगा
सम भाव घूंट पीना होगा।
कह ‘सरोज’, काहे तुम हारे,
हाथ थामे जो मीत प्यारे।
डिगाते, उठाते राही मिले,
ईश्वर चाह, कायनात मिले॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।