डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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त्रिलोक के स्वामी शिवशंकर,
क्रोधाग्नि अतिप्रचंड भयंकर।
कंठ पर साजे नागों की माला,
घनघोर घटा-सी जटा दुशाला।
भस्म से लेपित नील लोहित,
सारा जग तुम पर ही मोहित।
जिसने किया जप-तप घनघोर,
बस तेरी कृपा बरसी उस ओर।
सब देवगणों में तुम आदिदेव,
तुम त्रिशूलधारी तुम महादेव।
माँ गौरी के स्वामी गौरीपति,
तुम उमापति तुम पार्वतीपति।
रखना सबकी लाज उमापति,
तुमसे ही जीवन की लय गति।
तुम कालों के हो महाकाल,
रूठे तो पड़े साँसों का अकाल।
बस इतनी सी विनती है आज,
नित बजे जीवन का मधुर साज॥
परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।