ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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देखो आज फिर,
बौने हो गए राम
रावण का बढ रहा कद,
बिना रुके, बिना विराम।
गाँव-गाँव ढाँणी-ढाँणी में,
पनप रहा पापों का राज
रावण के पुतले को आखिर,
कौन लगाए आग।
जन-जन में शैतान बसा है,
कोई हवसी कोई पापी
मन के रावण को जो मारे,
वो ही है प्रतापी राम।
वो रावण मर्यादित था,
अपने सत पर क़ायम था
आज का रावण रास रचाए,
नन्हीं-सी बिटिया के साथ।
पूछ रहा है भरी भीड़ में,
विशालकाय रावण का पुतला।
है कोई सच्चा राम जगत में,
निष्कलंक और बेदाग!!
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।