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urmila-kumari

अंगना पधारे शिव बाबा

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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अंगना पधारे शिव बाबा जी,
मेरे अंगना पधारे,भोले भंडारी
हाथ कमंडल त्रिशूल लिए जी,
डम-डम डमरू बजाए भोले जी।

सावन की काली बदरिया छटा,
गंगा मैया हिलौरे लेती छाई घटा
सर्प गले मुंड माला तन है सटा,
भोले नटराज करे है काली घटा।

शिव भक्ति में लीन है भक्त जाए,
करते उपवास बेलपत्र चढ़ाए
धूप दीप भांग धतूरा है चढ़ाए,
जीवन सार्थक सबका बन जाए।

मन के नयन से शिव लीला देखें,
गंगा को शीष धारा बहाए देखें
महिमा शिव जी की सब ही देखें,
शिव पार्वती संग हिमालय विराजे।

शिवाय हर हर महादेव को पुकारे,
भक्ति की शक्ति तो हमको है खींचे
बाबा बर्फानी के द्वार हम तो जाए,
सावन महीना बहुत मन को भाए।

शीर्ष चंद्रमा शिव का चम-चम दमके,
रूद्राक्ष मोती मानों मणि-सी चमके
ध्यान मग्न बाबा नंदी तकवारी बैठे,
माता पार्वती का फिर मन यहाँ डोले।

काली घटाएं मानों बरस ही जाएगी,
भोले बाबा के ध्यान में दिक्कत आएगी।
छम-छम नाचे अप्सराएं गीत गाएंगी,
माता पार्वती गौरा बैठी मुस्कुराएगी॥